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टनकार

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य टनकार 17186 0 Hindi :: हिंदी

काल है डरा रहा 
मौत के टनकार से 
चल सको तो चलो 
अंधकार मे है जग सारा 
चल सको तो चलो 
आशमा वरसा रहा 
अंगार के बौछार है 
चल सको तो चलो 
काल है डरा रहा 
मौत के टनकार से 
चल सको तो चलो 
हर तरफ ज़िन्दगी से 
चल रही लडाई है 
चल सको तो चलो 
जीवन के भी कई
रंग बदल रहा 
चल सको तो चलो 
काल है डरा रहा 
मौत के टनकार से 
चल सको तो चलो 
समुंद्र भी निगल रहा 
जहाज के जहाज 
चल सको तो चलो 
घर बार परीवार 
सब छूट रहा 
चल सको तो चलो 
काल है डरा रहा
मौत के टनकार से 
चल सको तो चलो
हैं थोड़ा थोड़ा डुवता 
ज़िन्दगी के नाव 
चल सको तो चलो 
जीव जन्तु जन जीवन 
दुःख मे संसार है 
चल सको तो चलो 
मिर्तु भी मिर्त्य है 
इंसान के अविष्कार से 
चल सको तो चलो
पल पल घट रहा 
ज़िन्दगी के साम है 
चला सको तो चलो 
दिन के उजाले पे 
रात के अत्याचार है 
चल सको तो चलो 
घर के दरबाजे पे 
यम के पहरेदार हैं  
चल सको तो चलो
काल है डरा रहा 
मौत के टनकार से 
चल सको तो चलो
हर तरफ धुआ धुआ 
साम भी धुआ धुआ 
शहर भी धुआ 
रस्ता शुनसान 
सडक भी बदनाम हैं  
चल सको तो चलो 
कारबा खफा खफा  
मंजील भी अंजान अंजाना 
पाव मे छाले बहुत है 
चल सको तो चलो
संघर्श अभी और हैं  
कामयाव होने के लिए 
तुफान अभी बाकी है 
नीचे गिराने के लिए 
मार्ग मे बाधा बहुत है 
और नुकीला मार्ग 
जान बाकी है अभी तो 
चल सको तो चलो

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