संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी इस कविता को पढ़कर पाठक गण अवश्य ही लाभान्वित होंगें। 7847 0 Hindi :: हिंदी
स्वतंत्र छोड़ अपने विचार को प्राणी, उन्मुक्त प्रवाह में बहने दे अपने ख्याल को। सांसों को स्वतंत्र छोड़, शब्दों को स्वतंत्र छोड़। कदमों के चाल को स्वतंत्र छोड़, सोच की गति को स्वतंत्र छोड़। जीवन जीने में पूर्ण खुशी दे दें, व्यर्थ में चिंता में मत डाल अपने आप को। भगवान से हम प्रार्थना कर लें, इन बाधाओं को ख़त्म कर दें। हमें सर्व ज्ञान, शक्ति भरपुर दें, स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करें। पूर्ण आयु हम निर्बाध रुप से जिएं, यह है मेरा कामना सर्व जीव के लिए। अंतर्यामी सुन लें मेरा यह करुण पुकार, यह उपहार मुझको दे दें। मिलन पर मैं आपके कदमों को चुमूं, मैं खुशी से आपके सेवा में कार्यरत रहूं। दुनिया से गमों को दूर कर दें, खुशियां ही खुशियां भर दें। भक्ति मय वातावरण में भक्त झूमे, स्वतंत्रता की सरलता से तुझे याद करे। अनन्त बार दुआएं अर्पित कर खुशी जताये, प्रभु स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार दे दें। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....