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क्षणिकाएं

Chinta netam " mind " 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य कोरोना काल 28381 0 Hindi :: हिंदी

# कोरोना काल में मेरी समसामयिक रचना

              "क्षणिकाएं"

          (१)

पौ फटते ही ,
लॉकडाउन लगते ही ,
बंद हो गई भट्टी शराब की ।
बेवड़ों के लिए अच्छी खबर
घर में रहिए ,सुरक्षित रहिए ,
घर में पहुंच रही सरकार आपकी।।


           (२)

शराब भट्टी खुलते ही 
लगती है वहां भीड़,
होते वहां गुत्थम गुत्था
बंट रही सरकारी खीर ।
जैसे मानव रूपी थके 
पंछी का है वह नीड़ ।।
__ __ __ __ __
           
           (३)

होते यहीं से 
लोग संक्रमित ,
नशे में सत्ता के
सब दिग्भ्रमित ।
__ __ __ __ __

           (४)

यह है कैसा 
दोहरा मापदंड ?
शराब भट्टी खुला
मंदिर, मस्जिद बंद ।।
__ __  __ __ __

             (५)

गले के ऊपर से
भरी जिम्मेदारी,
यह क्यों /कैसी है ?
बड़ी लापरवाही ।
नहीं मिलेगी इसमें 
कोई वाह-वाही ।
अब अगला चुनाव
जनता करेगी तय कि,
ये सरकार आही-जाही ।।
__ __ __ __ __

                      चिंता नेताम " मन "

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