Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक सियाशी गलियारों में 18947 0 Hindi :: हिंदी
तमाशा ही तमाशा है जिधर देखो उधर नेता गण मसगुल है मशहूर होने के लिए समय यहाँ मजबूर खेल देखने के लिए अंधेर नगरी चौपट राजा ऐ सच कहा था किसी ने अधर में जनता फ़ासी है और देश पूरा अंधकार में मुल्क से अमन दूर हो रहा अमन सिर्फ बातों में नारे चौ तरफ़ा गूंज रहा सियाशी गलियारों में देश है बदल रहा क्या सच है या फिर कोई छलावा ये शोर कैसा है जो चारोँ तरफ गूंज रहा शायद ये कुछ गैंग है जो जनतंत्र के विरुद्ध है