MAHESH 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग हास्य-व्यंग्य 9659 0 Hindi :: हिंदी
स्वरचित रचना---छछन्दी औरत/ चतुर नार चालीसा! संदर्भ---हास्य-व्यंग ! दोहा--- श्री, मणि, रम्भा, वारूणी, अमिय, शंख, गजराज! कल्पद्रुम, धनु, धेनु, शशि, धन्वन्तरि, विष, व्याल! चौदह रत्नों से भी है जिनकी कीर्ति महान! उन चतुर नार महरानी का मैं आज करूं गुणगान! जय हो चतुर नार महरानी! तोहरी महिमा अमित बखानी! तोहरे आगे सब कोई हारे, उल्टी चलनी भरावा पानी! छिन मा करा आन कै ताना, तोहरा मरम केहू ना जाना! पल मा तोला, पल मा माशा! पल मा बदलत तोहरी भाषा! जेका चाहा वही का फ़सावा। जो चाहा सोई करवावा! तोहरे झांसा मा जे आवा! दिन मा ओका तारा देखावा! घर तो तुहिसे संभरत नाहीं, बाहर तू भागवत पढ़ावा! घर-बाहर बस तोहरै चर्चा! तोहरे बोले लागै मर्चा! लाज शरम व अदब विहीना! तोहरा जोड़ा पुरुष कमीना। तोहरी महिमा अगम अगाधा। तुहिसे बढ़िके न कोई बाधा! तुम्हीं सबसे प्रबल प्रवीना! मुश्किल कर देती हो जीना! जीवन की मझधार तुम्हीं हो! दोधारी तलवार तुम्हीं हो! सूर्पनखा अवतार तुम्हीं हो! माया की भण्डार तुम्हीं हो! तोहरे कारण नारी जाति! बदनामी है जग में पाती! बड़े - बड़े देखे अवतारी! पड़े रहे तोहरी गोड़वारी! तोहरी लीला सबसे न्यारी! तुहिसे हारे कृष्ण मुरारी! छिन मा रोवा, छिन मा गावा! तोहरी महिमा, राम न पावा! तू ब्रह्मा का वेद पढ़ावा! विष्णु तोहरा चरण दबावा! शंकर तोहरी महिमा गावा। नारद शारद शीश झुकावा! शेष "महेश" कहां बा गिनती! निहुरि दण्डवत तुहिसे विनती! दोहा--- चंचल चितवन की धनी, नैना तीर कमान! वाणी है विष से सनी, उर में अनेकों आन! दूरि रहो मुझ दुर्बल से बख्शो मेरे प्रान! और नहीं कछु चाहिए बस देहु यही वरदान!! ~✍️ महेश