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शीर्षक (फूल)

SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य शीर्षक (फूल) GOOGLE 59543 0 Hindi :: हिंदी

शीर्षक (फूल)
मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर)
फूलों ने खुशबू फैलायी।
चारो तरफ ख़ुशहाली आयी।
फूल लगते है सबको प्यारे।
है वो सबके राजदुलारे।
वो आपस  में  रहते है ऐसे,
मानो सब हो एक जैसे।
दुख में है काम आते।
सुख में भी काम है आते।
चेहरे पर मुस्कराहट है लाते।
देख के इनको चेहरे ख़ुशी से है खिल जाते।
बागो में बहार है लाते।
चारो तरफ़ खुशबू है फैलाते।
जान पहचान हो बढ़ाना।
बस एक फूलों का गुलदस्ता लेते  जाना।
चाहे प्रियतमा   को हो मानना।
फूल की एक कली तुम लेते जाना।
ईश्वर को हो मानना।
चरणों  में उनके फूल चढ़ाना।
रूठो को हो मानना ।
फूल है इसका सबसे अच्छा बहाना।
दुश्मन है दोस्त बन जाते।
एक फूल जो हाथ  में है पाते।
दुश्मनी सब भूल जाओ।
सब गले लग जाओ।
फूल तो एक बहाना था।
मुझे आप सब लोगों को एक साथ मिलाना था।

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