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सावन की घटा

संतोष सिंह क्षात्र 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #क्षात्र_लेखनी© #काव्य_विथिका #kavishala #अधर #प्रियतम #बदरा_का_प्रणय #प्रेमिल #ठसक #प्रेम_की_छुअन #दिल_रोता_है #काव्यांश #हिन्दी_शब्द #कवि_सम्मेलन #स्वरचित #धरा_की_सिसकियां @Drkumarvishwas #सावन #घनघोर_बदरिया #शिव_कृपा #दबे_पांव_आयी_बदरिया #सावन_की_आहट #शब्द_हिंदी @SantoshKshatra #सावन_की_घटा_हूं_मैं #बारिश #वर्षा #तड़पन #चटकती_बसुंधरा #संतोष #क्षात्र_लेखनी 31755 0 Hindi :: हिंदी

सावन की घटा हूं मैं
घट-घट भर दूंगी।
सागर के अधरों को छूकर
 चहुंओर  निर्भय बरसूगीं।।

संजोये हूँ आस,सखी मिलन की
शिराओं की पीर टटोलूगीं।
पहूँच वसुधा के आंगन में
रिमझिम प्रीत घोलूगीं।।

ये है खबर मुझको
जेठ ने कितना सताया है।
धूसरित धरा के खातिर
मैं घूमरि-झूमरि बरसूगीं।।

होकर चपला मैं तो 
चंडी सी दहाडूगीं-चित्कारूगीं।
ठूंठ-कली-लताओं को
मां सी पुचकारूंगी-दूलारूंगी।।

पुरवा के संग,ओढ़ इंद्रधनुषी रंग
मैं क्यारी-क्यारी परसूगीं।
कण कण को कर हुलसित
 निडर मैं, घनघोर बरसूगीं।।

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