SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक आज की इस बढ़ती हुई महंगाई और बेरोजगारी को देखकर तो ऐसा प्रतीत होता है की इस बढ़ती हुई महंगाई के बीच हम इन्शा के प्राण सस्ते हो चुके हैं क्योंकि लोग आज चन्द पैसो के ख़ातिर भी अपने जान को जोखिम में डाल देते हैं क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं है और हमारे देश का प्रशासन इस बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी पर बस अपना आँख मूंद चुप्पी साधे हुए है। 38728 0 Hindi :: हिंदी
बड़ी महंगी हुई ये महंगाई, सस्ते हम इन्शां के प्राण हुए । लोग मोलने लगे हैं खतरे, बस चन्द पैसे में आज बड़े ।। कोई दिखा रहा है मौत के कुएं में कर्तव्य, तो कोई बांध कफन उतर रहा है सीवर में । लोग जान पर अब लगे खेलने, बस दो रोटी की चाह में है ।। आंख मूंद बैठा प्रशासन, ना जनता के हित का ध्यान धरे । ना ही बात करता बढ़ती महंगाई पर, ना ही बेरोजगारी पर कोई काम करे ।। आस लगाये बैठी जनता , आखिर किस पर अब विश्वास करे । जो मुफ्त सेवाये बन्द कर सारी, प्रदान जनता को रोजगार करे ।। 🙏धन्यवाद 🙏 संतोष कुमार बरगोरिया -------------------------------- (साधारण जनमानस)
I am Santosh kumar Bargoria s/o Sri Sewalal Bargoria at 26, Noor Mahammad Munshi lane Howrah -71110...