Irfan haaris 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक गला काट स्पर्धा 84809 0 Hindi :: हिंदी
मर चुकी हैं संवेदनाएं जीवन की पथरीली कंटीली राहों पे चल के या मार दिया है स्वयं अपनी संवेदनाओं को भौतिक जरूरतों के लिए उस गंतव्य के लिए जिसकी कोई तय सीमा नहीं है जिसका कोई स्थाई चिन्ह नहीं है दौड़ रहे हैं लोग गला काट स्पर्धा में मानवता को धकेल दिया है अन्धे कुएं में अन्तिम सांसें ले रही है तड़प रही है सच्चाई मात्र शब्द बचे हैं सहानुभूति के लिए जिनका कोई मर्म नहीं