Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक साहसी 14061 0 Hindi :: हिंदी
तूफ़ानों का सीना चीर, पा लेता है जो पार। जिसके सीने में बहे, अदम्य साहस की धार। तूफ़ान थपेड़े सहकर, आलिंगन करे किनारा। जाने जीत की रीत, हार का पढ़ा नहीं ककहरा। सच्चा सिकंदर वो नहीं, जीत के दुनिया करे जयकारे। सच्चा सिकंदर वही है, जो हारकर भी नहीं हारे। हथौड़े से चट्टान, वो क्या फोड़े। वो तो सीने से टकराकर, चट्टान तोड़े। ठंडे दूध उंगली, दुनिया फिराए। वो गर्म दूध में उंगली, फिरा मलाई खाए। जितनी बड़ी हो चुनौती, उतना आता है मज़ा। उस मज़े को मज़ा मान ले, यह चुनौती को सज़ा। जो गिरने के डर से, गिरने के पहले ही गिर जाता है। जो गिरकर भी नहीं गिरे, वह निश्चय मंज़िल पाता है। सीधा, सज्जन, त्यागी, दुखी को दे कंधा। कीमत आंसू की आंक सके, वह साहसी है बंदा।