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शहीद- जोरू

Santosh kumar koli 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम शहीद की जोरू, शहीद की पत्नी 36792 1 5 Hindi :: हिंदी

मन तो मन है, कैसे इसे टोकूं मैं ?
रो रहा है हर समां,
प्रिय कैसे आंसू रोकूं मैं ?
आना था,
मुन्ने के नामकरण जश्न में।
पहले ही आ गए,
लिपट तिरंगे कफ़न में।
गुलज़ार होने से पहले ही,
मायूसी छाई चमन में।
सिसक रही है हर सिसकारी,
झांक जीवन सूनेपन में।
यादगार लमहे रो रहे,
कैसे मन को टोकूं मैं ?
रो रहा है हर समां,
प्रिय कैसे आंसू रोकूं मैं ?
जाते थे सरहद पर,
तनहा रोती थी पिया।
तेरी सांस मेरी सांसों के,
जीने का थी जरिया।
मेरे साथ मुन्ने को भी,
रोता छोड़ दिया।
जीवन निरंक कागज़,
लिखा बहा आंसू दरिया।
दिल बना दर्द सागर,
कैसे इसको सोखूं मैं ?
रो रहा है हर समां,
प्रिय कैसे आंसू रोकूं मैं ?
खाने दौड़ती है,
निज जीवन तनहाई।
चाहूं जितना भूलना,
तेरी आए याद सवाई।
ज़्यादा कायर जी नहीं सकती,
भारत मां की जाई।
सरहद पर फिर सीस चढ़ेंगे,
मुन्ने की अगुआई।
कायरता से देश धर्म को,
कैसे जोखूं मैं ?
रो रहा है हर समां,
प्रिय कैसे आंसू रोकूं मैं ?

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