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सबरी के राम

कवि राजवीर सिकरवार 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक 40945 0 Hindi :: हिंदी

कवित्त रामायण- (अरण्य काण्ड समाप्त )
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प्रसंग- भगवान राम माता सबरी से जानकी के वारे में पूछते हैं,तब सबरी का जवाब-
          ( आपके सुझाव स्वागतेय )
                 ----------------------
बोली -भीलनी कि सर्वज्ञ हो कृपानिधान,
          पूछते तथापि, है कहाँ विदेहनंदिनी ?

लोकाचार मान के जो पूछते दयानिधान,
     तो सुनो ! बताती हूँ, जहाँ विदेहनंदिनी ।

लंकापति जानकी को ले गया चुरा के लंक,
        बैठी है विदेह -सी, वहाँ विदेहनंदिनी ।

जानकी के प्राण करें आपके ह्रदय में वास,
         प्रेम से निवासती, तहाँ विदेहनंदिनी ।
                         _________

आगे ऋष्यमूक नाम शैल है विशाल एक,
         पास में है पम्पासर तीर चले जाइए ।

कूल पे खिले हुए सुगंधयुक्त लाखों पुष्प,
            मंद-मंद बहती समीर चले जाइए ।

बालि के प्रकोप से सताया मंत्रियों के साथ,
        नाथ ! सूर्यग्रीव है अधीर चले जाइए ।

"भारती" से होगी वहाँ मित्रता तिहारी नाथ,
            मेंटने को पीर रघुवीर चले जाइए ।
                   ------------------

बार-बार भीलनी ने राम को किया प्रणाम,
      योगअग्नि में शरीर जार के चली गई ।

आभूषण भव्य और तेज सूर्य के समान,
        दिव्य दूसरा शरीर धार के चली गई ।

भक्ति मनों शक्ति जैसे कोंध बीजुरी समान,
        देह प्रभु राम पे निसार के चली गई ।

"भारती" बसाके हिय राम को श्रीधाम लोक,
        राम-नाम अंत में उचार के चली गई ।
                  _______________

त्यागि कें अरण्य घोर, दोनों वीर पम्पा ओर,
     नारि कौ अशीष शीष धारि कें चले गए ।

आगे रघुवीर जात पाछें शेष धीर-वीर,
        आश्रम मतंग कौ जुहारि कें चले गए ।

इष्ट को अराधि बांधि कें कटार कांधे बीच,
     तीर औ कमान को सम्हारि कें चले गए ।

"भारती" भरोसो मोहि तारेंगे जरूर जब,
     भीलनी को राम जी उवारि कें चले गए ।
_________________________________
कवि राजवीर सिकरवार 
सबलगढ़ मुरैना म.प्र.

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