Raj Ashok 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 7980 0 Hindi :: हिंदी
जिंदगी ये ,बदले ना बदले दुनिया देख के,अब जीने का शौक, बदलने लगा है। फिसलने लगी है।हाथो से मिट्टी के जैसे ,ख्वाश्शे हर मुहोबत मे चल रही है। सह् और मात् वक्त की कैद मे, है। हर नशीब का साथ
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Jai jai ho...