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रक्षाबंधन पर कविता

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rakshabandhan per kavita #Rambriksh Ambedkar Nagar Kavita#Rakhi per kavita 69871 0 Hindi :: हिंदी

मैं बहना ,भाई ना मेरे 
राखी बिकते प्यारे प्यारे   
राखी आते,मन भर जाते
किसे बांध मैं मन बहलाऊं,
कैसे मैं त्योहार मनाऊं। 

          प्रीत की बंधन के धागा को
          बांध के टालूं हर बाधा को
          किस भाई को बांध कलाई
          रिश्तों में विश्वास जगाऊं,
          कैसे मैं त्योहार मनाऊं।  

मेरे भी गर भाई होता
मैं राखी वह कंगन लाता
थाली भर मैं प्यार सजाकर 
किस भाई पर प्यार लुटाऊं,
कैसे मैं त्योहार मनाऊं। 

           छोटा होता प्यार लुटाती
           आशीर्वाद बड़ा से पाती
           मीठे मधुर मिठास बढ़ा कर
           किसको विजया तिलक लगाऊं?
           कैसे मैं त्योहार मनाऊं। 
  
मात- पिता भाई में देखूं 
बांध गांठ रिस्तें को रख्खूं
बिन भाई के जीवन कैसा?
खुद को आज पराई पाऊं,
कैसे मैं त्योहार मनाऊं।          

           भाई का होना ना होना 
           क्या कर सकती कोई बहना
           खुद में खुद को भाई देखूं 
           खुद को खूब मजबूत बनाऊं,
           अब ऐसे त्योहार मनाऊं। 

खुद भाई खुद बहना बनकर
जीवन जी लूं आगे बढ़कर
मात पिता अपने में पाकर
बेटी बेटा मैं बन जाऊं,
अब ऐसे त्योहार मनाऊं। 

          करुं अपेक्षा रक्षा का क्यों
         अबला से सबला हो ना क्यों
          इस अन्तर को मैं झुठलाकर 
          खुद की रक्षा खूब कर पाऊं। 
          अब ऐसे त्योहार मनाऊं। 

रचनाकार -रामबृक्ष आम्बेडकर नगर 

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