Aniket 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम प्यारा हिंदुस्तान है 11008 1 5 Hindi :: हिंदी
अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है- तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है। गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है। सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है। ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है- सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है। यहीं मिला आकार ‘ज्ञेय’ को मिली नई सौग़ात है- इसके ‘दर्शन’ का प्रकाश ही युग के लिए विहान है। वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है। प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है। अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है- तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है। इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई- अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।। योग-भोग के बीच बना संतुलन जहाँ निष्काम है। जिस धरती की आध्यात्मिकता, का शुचि रूप ललाम है। निस्पृह स्वर गीता-गायक के गूँज रहें अब भी जहाँ- कोटि-कोटि उस जन्मभूमि को श्रद्धावनत प्रणाम है। यहाँ नीति-निर्देशक तत्वों की सत्ता महनीय है- ऋषि-मुनियों का देश अमर यह भारतवर्ष महान है। क्षमा, दया, धृति के पोषण का इसी भूमि को श्रेय है। सात्विकता की मूर्ति मनोरम इसकी गाथा गेय है। बल-विक्रम का सिंधु कि जिसके चरणों पर है लोटता- स्वर्गादपि गरीयसी जननी अपराजिता अजेय है। समता, ममता और एकता का पावन उद्गम यह है देवोपम जन-जन है इसका हर पत्थर भगवान है।