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पुकारती मां भारती

संतोष सिंह क्षात्र 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #क्षात्र_लेखनी© #काव्य_विथिका #kavishala #अधर #प्रियतम #समय_का_प्रणय #प्रेमिल #ठसक #प्रेम_की_छुअन #दिल_रोता_है #काव्यांश #हिन्दी_शब्द #कवि_सम्मेलन #स्वरचित #देश_प्रेम @Drkumarvishwas #देश_भक्तो_का_बसंत #भारत_माता #राष्ट्रप्रेमी #भगतसिंह #आतंक_की_आहट #शब्द_हिंदी @SantoshKshatra 16516 0 Hindi :: हिंदी

सुनो देशवासियों काम ऐसा चंद करो।
 पुकारती मां भारती, अराजगता अब बंद करो।।
 
जयचंद और विभिषणों के मंसूबे अब कुंद करो।
 भारती के वीर उठो, राष्ट्रद्रोहियों का अंत करो।।

जो दागदार करें आंचल, बेटा नहीं व्यभिचारी है।
जागो भगत-फिर से आजाद, द्रोहियों का अंत करो।।

हैं जो कर्महीन, अधिकार की अब बात करते।
फुफकार रहे फिर से सापोले, कुचल फड अंत करो।।

मार कुंडली बैठें घाती, सुनो सुभाष नरसिंह रूप धरो, 
परजीवी गिद्धों का हर ,दांव चुन-चुन पस्त करो।।

बिच्छू होगा मित्र अगर, डंक निश्चित ही मरेगा।
पोषोगे जयचंद यदि, संभव है जीवन तेरा उजाड़ेगा।।

उभरती गद्दारी जैसी नियत का अविलंब अंत करो।
समझो-सोचो-सीखो, पिछले पलों को कंठस्थ करो।।

द्रोहियों संग जैसे को तैसा में, न कतई विलंब करो।
भारत हित प्रथम हो,  बिन देर ध्वंस तुरंत करो।।

#क्षात्र_लेखनी© @SantoshKshatra

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