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परछाई

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य परछाई 38281 0 Hindi :: हिंदी

वो मेरे साथ साथ होता है 
जब वो मेरे पास पास होता है 
कदम कदम पे हर कदम पे
सदैव मेरे आस पास होते है

मैं जब भी गिरता हूँ 
मेरे साथ गिर जाता 
अगर मैं रोता हूँ  
वो भी मेरे साथ रोता है 
कभी आगे कभी पीछे 
कभी दाएं कभी बाएं 
हर वक्त मेरे 
करीब करीब होता हैं  

मैं सोचता हूँ  
कौन है ऐ जो 
मैं जहां जाता हूँ 
ऐ वहां वहां होता है 
दीखता भी बिल्कुल 
मेरे जैसा ही
कहीं ऐ मैं ही तो नहीं 
सर्वदा मेरे साथ साथ होता है

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