Kalindri pal 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 4257 0 Hindi :: हिंदी
सार्थकता व श्रेष्ठता की चाह में डूबा हो, बुद्धिजीवी हो कितने भी घावों में डूबा हो। छाती पर घाव हो पैरों में मोच हो, ग्यान की पूर्णता के प्रयास में छत विछत हो। श्रेष्ठ व निम्नतर के मध्य में जूझता हो, उसे अपने प्रयास में किंचित ही सफलता हो।
I am kalindri pal *betul*. I am from village and post nighuwamau block Machhrehata district Sitapur...