Mk Rana 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 14550 0 Hindi :: हिंदी
कास पेड़ भी चलते होते, कितने मजे हमारे साथ होते, बांध डाली में उसके रस्सी झूला भी झुल लेते, जहाँ कहीं हां मन कहता वहां उसे ले जाते। जब जब कहीं भी धूप सताती, उसके नीचे सो जाए करते कितना मजा होता, बादल जब जब मेघ लाती, उसके नीचे छीप जाता पल कितना ओ सुन्दर होता। भूख प्यास की ना कोई चिंता, जब फल उसमे मीठे होते, चिड़ियों की ओ मीठी बोली, सुबह सुबह जब सुनने मिलते। हरियाली मेरे मन को भाती, नन्हें नन्हें हैं पौधे आते, कास पेड़ भी चलते होते, कितने मजे हमारे साथ होते।