Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य पतझड़ में गोरा बादल 35926 1 5 Hindi :: हिंदी
उड़ चले खग आसमानों में पंखड़ियों का जो बांध छुड़ाया उड़ते खगो ने यह राग सुनाया, पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया / इन काली - काली रातों ने पतझड़ की सुगंध को रूलाया, वशूधा के पनप्ते पोधों ने कलरव का नाम सुनाया, पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया / मलयजो की फेली बातों को बरखा से नहलाया, दिनकर ने घन घोर रात्रि को बुझाकर इस सुरभि सुबह का जन्म बनाया, पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया / आसमानों की रात्रियों ने तारों को चमकाया पेड़ों पर रहकर पत्तों ने बीति सुबहो का नाम लिखाया, पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया / वशूधा में किरणों का आगमन हुआ निकलती सुबह का पत्तों से सामना हुआ धूल मिट्टीयो में गिरकर उनका स्वागत हुआ पेड़ों से गिरकर पत्तों ने डालियों का तन - मन दु:खलाया, पतझड़ में गोरा बादल मुस्कुराया /
1 year ago