Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

नियति

Vipin Bansal 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #नियति 17116 0 Hindi :: हिंदी

नियति का न कोंई तोड़ ! 
नियति जब खोले पोल !! 
हवस की गठरी भर नहीं पाए ! 
कर्म की लेखी मिट नहीं पाए !! 
कर्म के जैसे बीज लगाए ! 
फूट के वो ही बाहर आए !! 
कुदरत का न इसमें रोल ! 
तेरे कर्मों का ही मोल !! 
वक्त ए तराजू की है तोल ! 
इसमे न है कोंई झोल !! 
नियति का न कोंई तोड़ ! 
नियति जब खोले पोल !! 

सौंदर्य प्रकृति का हमने बिगाड़ा ! 
गंगा जल में जहर है डाला !! 
नदियों का आकार घटाया ! 
वनों को हमने बौना बनाया !! 
कुदरत का किया उपहास ! 
अपने कर्मों की है मार !! 
कुदरत का न इसमें दोष ! 
हमने खो दिए अपने होश !! 
हमारे गुनाह रहे हैं बोल ! 
अब तो अपनी आँखे खोल !! 
नियति का न कोंई तोड़ ! 
नियति जब खोले पोल !!

      विपिन बंसल 

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: