Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद नीड़ 35099 0 Hindi :: हिंदी
नीड़ बनाऊँ में केसे नेह का आहवान पाऊँ में केसे/ बनाता हूँ नीड़ बार-बार नेह आता है एक बार, फिर उठी आँधी ऐसी छा गये गगन में बादल ऐसे, नीड़ बनाऊँ में केसे नेह का आहवान पाऊँ में केसे/ गरज रहे थे बादल काले बूंदों ने नीड़ धोडाले, झुक गई पैडो की डाली हो गये नीड़ खाली, दिन को घेर लिया अंधेरे ने नीड़ बनाऊँ नई सवेरे में, क्या बीती होगी घोसलों पर जो उजड़ गये हवा के घेरे में लड़ ख्ड़ाते पाऊँ रुक गये ऐसे, नीड़ बनाऊँ में केसे नेह का आहवान पाऊँ में केसे/ लेखक- अजीत