Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

नारी तू अविचल है!

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नारी तू अविचल है, Naari Tu Avichal Hai, Jitendra Sharma जितेन्द्र शर्मा 8282 0 Hindi :: हिंदी

रचना- "नारी तू अविचल है।"
रचनाकार- जितेन्द्र शर्मा
विधा- कविता
तिथी-29/12/2022


नारी! 
नारी तू अविचल है।
पंकज सी कोमल है पर द्रढ है तू गिरिवर सी।
सागर सी गहरी है पर लहरों सी चंचल है।
नारी तू अविचल है।

कुल वंश का मान है तुझसे, माता का सम्मान है तुझसे,
पिता का अभिमान है तुझसे,
तू धारा अविरल है!
नारी तू अविचल है।

जीवन का आधार है तुझमे,
ममता, स्नेह, प्यार है तुझमे,
सारा सदव्यवहार है तुझमे।
तू सरिता सी सजल है,
नारी तू अविचल है।।

जननी है पालक है, तरू की तू छाया है।
लक्ष्मी है रणचण्डी, मीरा है माया है।।
विष भी है तू अमृत भी,
वीरों का तू बल है।
नारी तू अविचल है!
नारी तू अविचल है।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: