Raj Ashok 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 7451 0 Hindi :: हिंदी
मुहोबत चाहिए,अ जिन्दगी मुझे , जीना है। वादो को तोड़ कर तन्हाई मे कमबक्त बह रही है। साँसे साँसो को छोड़ कर वाह, क्या कहे , अब, शकुन मिला भी तो जलज्ला सा जव्लत् है। ये जीरागों मे खौफ जँदा है। साँसे , तेरी यादो मै , लोगों को समझना अब मुश्किल होने लगा है।