Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मुहब्बत है गांव में। जितेन्द्र शर्मा।वन्दना इण्टर कालेज नारंगपुर 86675 0 Hindi :: हिंदी
कविता- मुहब्बत है गांव में! रचना- जितेन्द्र शर्मा तिथी-25/01/2023 माना कि थोडी सी गुरबत है गांव में। शर्म है, रोटी है, मुहब्बत है गांव में। गाय है, गोबर है, चूल्हा है खाट है। दादा का दुलार और पापा की डांट है। मांताजी की झिड़की दादी सहलाना। बन्दर के, बकरी के किस्से सुनाना।। धोती है, कुरता है, जूती है पांव में। शर्म है, रोटी है, मुहब्बत है गांव में। दिवाली, दशहरा और होली का रंग है। भैया है भाभी है सखियों का संग है। गलियां हैं आंगन है खेत खलियान हैं। कहीं थोड़ा ऊंचे कहीं छोटे मकान हैं। ए सी का आनन्द है बरगद की छांव में। शर्म है रोटी है मुहब्बत है गांव में। काका है काकी है, ताई और ताऊ है। गांव में ही कोको, लूल्लु और हाऊ है। जात पांत है पर सबका सम्मान है। दूध है दही है, मीठा पकवान है। कभी नांव नदी में कभी नदी नांव में। शर्म है रोटी है मुहब्बत है गांव में।।