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मोदी जी पीछे पड गये।

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग Modi ji peechhe pad gaye. जितेंन्द शर्मा मेरठ, Jitendra Sharma Parikshitgarh, 9729663440 8239 0 Hindi :: हिंदी

हास्य कविता- मोदी जी पीछे पड गये।
शब्द रचना- जितेन्द्र शर्मा
तिथी- 3/03/2023

अपनी फीकी किस्मत चमकाना चाहता था!
इसलिये राजनीति में जाना चाहता था।
सोचा था कि जनता के माल पर हाथ साफ करूंगा।
अपनी किस्मत के जालों की सफाई अपने आप करूंगा।
मगर मानो आफत से नैन लड़ गये।
मेरे और किस्मत के बीच मोदीजी पड़ गये। 
बोले- मिले अवसर को नहीं जाने दूंगा। 
न खुद खाऊंगा ना खाने दूंगा।


चुनाव जीतने को हर एक नुस्खा आजमाया था!
गधों को हरी घास खिलाई सांपों को दूध पिलाया था।
दूर दूर से मुर्गे बकरे मंगवाये गये, 
हमारे नाम से मयखानों में जाम छलकाये गये।
चुनाव जीत कर जब घर आ रहा था। 
जय जयकार के बीच नये सपने सजा रहा था।
लेकिन वो सारे के सारे सपने सड गये।
मेरे और सपनों के बीच मोदीजी पड़ गये।
बोले- मिले अवसर को नही जाने दूंगा।
ना खुद खाऊंगा ना खाने दूंगा।


चाहता था कि सारे देश का चहुमुखी विकास कराऊंगा।
कागज़ों पर नई नदियां खुदवाकर उन पर पुल बनाऊंगा।।
मैं अपने तरीके से देश की किस्मत चमकाता।
अच्छा आदमी हूं भाई मिल बांटकर खाता।।
लेकिन इच्छाओं के पेड़ से सभी फल झड़ गये।
मेरे और इच्छाओं के बीच मोदी जी पड़ गये।
बोले- मिले अवसर को नहीं जाने दूंगा। 
ना खुद खाऊंगा, ना खाने दूंगा।।

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