Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मैं धायल हूँ 14635 0 Hindi :: हिंदी
मै देश बदलना चाहता हूँ मैं देश बदलने आया हूँ नेताओ के जात इनकी औक़ात दिखाने आया हूँ हिंदुस्तान के युवाओ कि आबाज़ उठाने आया हूँ मैं धायल हूँ इन के आतंको से ये जख्म दिखाने आया हूँ सातिर है ये आतंकी है इन चतुर लोमड़ियों को अनशिन कष्ट बताने आया हूँ प्रेम के भाषा बोल तुम मेरे भावना से खूव खेल लिए मैं किसान के बेटा हूँ तुम्हे सबक सिखाने आया हूँ हम मरे या बचे तुम्हे कोई फर्क नहीं इन्ही बातो का हम कितने परेशान और दुखी है ऐहसास दिलाने आया हूँ मर रहे हम खेतों में तरस रहे हम अन पानी को भूखे प्यासे मर रहे हम तुम कैसे बच पाओगे ये भारत के सूरत है तुम्हे दर्पण दिखाने आया हूँ ये कुर्सी के भूखे भेड़िये तुम भी तो इंसान हो माँ भारती भी हैरान हैं तेरी इन कुकर्मो से तेरे आखोँ में जो सर्म नहीं उशी को सर्मिन्दा करने आया हूँ