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माधुर्य मधूर वाणी कि दिशा

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद This poem is base on inspiration. 15739 0 Hindi :: हिंदी

माधुर्य मधूर वाणी कि दिशा, 
निज कर्मो से मै रोक पाता! 
कर्म को मिलता तनिक छाह,
गर कर्मो से राह मुझे मील जाता!! 
               अविचलता कि हुंकारों से, 
               अविचल है रही ये कर्म धरा! 
               हर चाहत को राहत शायद मील जाती, 
               गर लिखा लेख मैं मिटा पाता!! 
कर्मो को नमन निज वंदन से, 
है अमूल प्रेम निज हृदय मे! 
इक नयी राह फिर बन जाती, 
गर राहों मे आपको पा जाता!! 
                    इस विश्व का मंथन करते करते, 
                    मैने ना कभी अविराम किया! 
                    मेरी वेदना मे तुने भी, 
                    तनिक नही आराम किया!! 
करता ही चला मै कर्म अपना, 
बन स्वयं पार्थ और वाहक बन! 
कर्मो की दिशा मे नमन तुम्हे, 
जो तुने कर्म का दान दिया!! 
                   अश्को से नमन, वंदन से नमन, 
                   है नमन प्रेम और आहत से! 
                   करूना को नमन, कर्मो को नमन, 
                   है नमन हृदय की राहत मे!! 
अमर रहे वो कर्म आपके, 
चरणो पुष्प की है गाथा! 
प्रशाद के करूणीत वंदन मे, 
मेरा कलम भी है कर्मो पे झूक जाता!! 

       Writer :- Amit Kumar Prasad
        लेखक  :- अमित कुमार प्रशाद

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