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विकाश

RANJIT MAHATO 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #विकाश ,विकाश, #vikash 23283 0 Hindi :: हिंदी

विकाश के नाम पर विनाश की ओर
बढ़ रहा मनुष्य है |
प्रकृति के नियमों को अनदेखा कर,
बढ़ रहा मनुष्य है |
विनाश को विकाश समझकर,
बढ़ रहा मनुष्य है |
गंगा को मैली कर ,
बढ़ रहा मनुष्य है |
यमुना को दूषित कर,
बढ़ रहा मनुष्य है |
जंगलो और वृक्षों को काट कर,
बढ़ रहा मनुष्य है |
गांवो को शहर बनाकर,
बढ़ रहा मनुष्य है |
विकाश के नाम पर विनाश का यन्त्र निर्माण कर,
बढ़ रहा मनुष्य है |
सबकुछ समझ कर भी न समझ बन,
बढ़ रहा मनुष्य है |

By-Ranjit Mahato

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