Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत माँ जैसी कोई नहीं 13870 0 Hindi :: हिंदी
माँ जैसी कोई नहीं लोरी गा सुलाने बालि प्यार से खिलाने बालि सही राह दिखाने बालि बला दूर भगाने बालि हमारी गलतियों को माफ़ करने बलि अपनी खुशियों को त्याग करने बालि माँ जैसी कोई नहीं ऊँगली पकड़ चलना सीखने बालि हमे स्कूल तक ले जाने बालि खुद पुष्तक बन जाने बलि अगर छींक भी आजाये तो घर सर पे उठाले बालि बिना कोई कसूर पापा के बैंड बजाने बालि माँ जैसी कोई नहीं माँ तू मेरे पास भी आन कुछ वक़्त हमारे साथ भी बिताओन माँ तेरी बहुत याद आती सब कहते हैं माँ भगवान हैं विधाता के रूप हैं फिर मेरा भगवान मुझसे रूठा क्यों हैं माँ एक बार ही सही पर आन अपने गले से लगा के सर पे अपना हाथ रख के जान माँ जैसी कोई नहीं माँ तुझे याद जब मैंने जन्म कुंडली को फाड् के ढोल मठ दिया था बो तो पक्का याद होगा जब चाचा के घर में आग लगा दिया था बहन को कुएँ डाल दिया था पापा तो उस दिन मार ही डालते पूरा गांव पीछे पड़ा था पर माँ आपने बचा लिया था माँ मुझे अब भी आप की जरूरत हैं फिर मेरे पास आजाओ न आज सब हैं मेरे पास सिवाये आपके बस आखरी बार आओ न