Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य ज़िद्द 86377 4 4.5 Hindi :: हिंदी
ज़िद्द कुछ तो ज़िद्द है उसे पाने की रास्ता चाहे जितना कठिन हो उबड खाबड दलदल या पथरिला ज़िद्द है बस मंजील पे अड जाने की मैं जानता हूँ तु साथ न देगा मेरा तेरी हर आदत हर बात से वाकिफ हूँ ये ज़िद्द से ज़िद्द है मेरी तु साथ दे या न दे बस ज़िद्द है ये मेरी अपने बात पे अड जाने की तु साथ न दे मेरा पर चलना मुझे आता है मैं वक्त का मारा हूँ सहना मुझे आता है हर साख पे बैठा बो जो देख रहा सब को अब ज़िद्द है य़े मेरी उसका अहंकार मिटाना है अब तो जिद्द से जिद्द है बस जिद्द पे अड़ जाने की
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