Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य कृष्ण अर्जुन 16666 0 Hindi :: हिंदी
देश द्रोपदी सी ड़री सकपकाई घबराई दुशासन नीडर सा धुम रहा राजा धृतराष्ट्र सा लाचार है दुर्योधन बे खौफ हो घुम रहा प्रजा को पांडव समझ मार रहा गंधारी पुत्र मोह में आँख में पट्टी बांधे बैठी युराज जगह जगह देश को बाट रहा है हम इस ऊमीद मे बैठे है कृष्ण फिर आयेंगे फिर से गीता के पाठ पढायेंगे हमे सही गलत समझायेंगे फिर हम गांडीव उठाएंगे पर ऐसा न हुआ है न होगा ये कलयुग है यहाँ कृष्ण नहीं कृष्ण अर्जुन हमे ही बना होगा