Raj Ashok 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 1651 0 Hindi :: हिंदी
खुश नहीं ,बेख़ौफ है । ये अभी जिंदगीं, की उडानों मैं इसे मिला है। अभी तो खुला आसमान अभी रखे कहाँ है। पाव जमीं पे देखे है ख्वाब अभी तो ।मंजिल के ये जीत का तीर है रखा है। अभी तो तरकश मे सधर्ष अभी तो बाकी जहाँ पे ऊमीद रखी है। वहाँ, धोंखे भी मिलगे। ये जिन्दगी है। यहाँ कुछ अवसर कुछ मोके मिलेगे।