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ख़ामोशी

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य ख़ामोशी 29960 0 Hindi :: हिंदी

ऐ शहर अजनबी सा क्यों है 
हर तरफ धुआँ धुआँ सा क्यों है 
लोग यहाँ जुदा जुदा क्यों है 
हर तरफ भूख मरी सा क्यों है 
लोग यहाँ परेशान सा क्यों है 
जिधर देखो उधर रंजीदगी सा क्यों है 
ऐ शहर अजनबी सा क्यों है 
हर तरफ धुआँ धुआँ सा क्यों है 

हर तरफ चुप्पी;सा क्यों है 
हम यहाँ खोएं खोएं से क्यों है 
हर तरफ लाचार और लाचारी सी क्यों है 
आज यहाँ गुमशुदा सा क्यों है 
ऐ शहर अजनबी सा क्यों है 
हर तरफ धुआँ धुआँ सा क्यों है 

सच्चाई यहाँ लापता सा क्यों है 
सुबह शाम पर आश्रित क्यों है 
मुहब्बत यहाँ मोहताज सा क्यों है 
इश्क़ इश्क़ नाकाम सा क्यों है 
ऐ शहर अजनबी सा क्यों है 
हर तरफ धुआँ धुआँ सा क्यों है 

रिश्तों में इतना नाजुक्त क्यों है 
तू और हम इतने मजबूर से क्यों है 
अंधेरा यहाँ रौशनी पे भारी क्यों है 
भूख इंसान पे हावी क्यों है 
ऐ शहर अजनबी सा क्यों है 
हर तरफ धुआँ धुआँ सा क्यों है

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