Anany shukla 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक कहाँ हो तुम 95694 0 Hindi :: हिंदी
कहाँ हो तुम, कहाँ हो तुम मैने ढूंढा तुम्हें हर कहीं पर कहीं ना मिले तुम कहाँ हो तुम, कहाँ हो तुम किसी ने कहा मंदिरो में हो तो किसी ने मस्जिदों में मैंने हर दीवालो में,हर गुमब्दों में दुढा तुम्हें फिर भी ना मिले तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो तुम किसी ने कहा पर्वतो में हो तो किसी ने चट्टानों में हर चट्टान को तराशा मैंने फिर भी कहीं ना मिले तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो तुम कहीं उस खीर में तो नहीं जो परोसी जाती है या उस भोग में तो नहीं जो लगाई जाती है हर दाने को देखा मैंने उसके फिर भी ना मिले तुम कहाँ हो तुम, कहाँ हो तुम हो सकता है तुम उस फूल में हो जो चढ़ाई जाती है हो सकता है तुम उस चादर में हो जो ओढ़ाई जाती है नीचे दोनों के देखा मैंने फिर भी ना मिले तुम कहाँ हो तुम कहाँ हो तुम