akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक ज़िन्दगी की वास्तविकता 21903 0 Hindi :: हिंदी
* ज़िन्दगी की मंजिल * इस ज़िन्दगी में मंजिल, पाना बहुत कठिन है। कभी रास्ते कठिन है, कहीं रास्ते नहीं है । हम खोज में इसी की, देखो भटक रहे हैं। मंजिल मिलेगी कब , हमको पता नहीं है । बड़ा सा मकान है, पर उसमें घर नहीं है । ऐशो आराम बहुत है, पर मन में शुकूं नहीं है । बिस्तर पर लेटते हैं , पर आंखों में नींद नहीं हैं। कैसे कटेगी ज़िन्दगी, हमको पता नहीं है । मिले दोस्त तो बहुत , पर दोस्ती नहीं है । धोका है हर क़दम पर । नेकी कहीं नहीं है । अपने तो बनते हैं पर , अपनापन अब नहीं है । जी रहे हैं यहां हम, पर जिन्दगी नहीं है । ज़िन्दगी के इस सफर में, साथी कोई नहीं है । सांसो के रूकते ही फिर तेरा कोई नहीं है । लम्बी उम्र जिए हम , नहीं जिए ज़िन्दगी हम । इस तरह हमारा जीना , कोई ज़िन्दगी नहीं है । मिल पायेगी हमें मंजिल , ये मुमकिन अब नहीं है । मज़े से जियो ये जिंदगी , फिर जिंदगी नहीं है । अरमान कर लो पूरे , सही ज़िन्दगी यही है । खुशहाल हो ये जीवन, यही जिन्दगी की खुशी है।
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