Amit kumar 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक राष्ट्रवाद 77332 0 Hindi :: हिंदी
झूठा राष्ट्रवाद ***************************💐💐💐💐💐💐💐💐*************************** देश की जनता परेशान है, छाया है घर -घर मे गम| देश मे एक अभियान चला, घर-घर झंडा फहराए हम || लूट लिया इस देश को तुमने , मिल जुल दोस्त तुम्हारे | कर्ज माफ किया खरबो का, लूट गए बैंक भारत के सारे || बहु-बेटीयो की गरिमा , तार-तार रोज होती है | ये देख माँ भारती भी, खून के आँशु रोती है || रोजी-रोटी की बात ना होती , भाषण का अब जमाना है| अर्थव्यवस्था कौन देखे अब, लोगो को मूर्ख बनाना है || जिन मुद्दों पर साहब आये, वो मुद्दा अब भुला दिया | धर्म एक अफीम है , सबको धीरे-धीरे पिला दिया || नही जागोगे तुम अगर , खून के आँशु रोवेगे | औलाद तुम्हारी कटेगी वही, आज अभी तुम बोवोगे || कलम से ---- अमित कुमार ग्राम-मड़ही ग़ाज़ीपुर (यूपी)