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जय हनुमान

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक 67701 0 Hindi :: हिंदी

कविता- जय हनुमान

जय अमृतेश आशुतोष रुद्रावतार,
पवनपुत्र,केसरी और अंजना लाल।
विपुल बलशाली राम भक्त हनुमान,
मंगल दिवस प्रगट हुए स्वरूप बाल।।

राक्षस,अवगुण के प्रबल विनाशक,
कुशाग्र बुद्धि मिला अमरत्व वरदान।
सगुण मानव अनुचर के अभिरक्षक,
शक्ति,ज्ञान और विजय के भगवान।।

एकांत विहार में बैठे नन्हे कपीश्वर,
सहज पुष्पपथ क्षुधा सताने लगी।
समझ कर पलागम दिवाकर को,
नभ मार्ग में विचरण आस जगी।।

काया वज्र अति आविष्ट तेज शतांश, 
शास्त्र मर्मज्ञ, पाश और नीर अभेद्य।
विबुधों ने दिया सर्व अमोघ आशीष,
विद्यमान सदा विक्रम,अव्यग्र,अवध्य।।

जानकी खोज में रत्नाकर पार किए,
सोने की लंका जला लंकेश गर्व तोड़े।
विजय हुई प्रभु रामचंद्र वानर सेना की,
युगों-युगों तक पावन वसुधा में विराजे।।

कवि- अशोक कुमार यादव 
पता- मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)
पद- सहायक शिक्षक
पुरस्कार- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार 2020
प्रकाशित पुस्तक- 'युगानुयुग'




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