मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मनुष्य का जन्म इस जगत में परमार्थ (समय के महापुरुष द्वारा ज्ञान प्राप्त कर, ज्ञानयोग से परमार्थ) कमाने के लिए होता है, परंतु जीवन के रंगीन सपनों में खो कर जीवन पर्यंत खाली हाथ ही रहता है। जीवन का मूल उद्देश्य से भटक कर, वापस उस देश खाली हाथ ही जाता है। 87553 0 Hindi :: हिंदी
जन्म से कोरा मानव, देख जगत का रंग। लोक रंग में उम्र भर, कई सपनें-सजाए। खूब कमाएं शोहरत, भरा रत्नें शबाब। ज्ञान विवेक ना अनुभव, रहा बन-शहंशाह।। सजाया था राजपाट, मिला खास संदेश। चित्रगुप्त देखा हिसाब, नहीं था-परमार्थ।। खुद का किया न पहचान, परमार्थ कहां पाए। जीवन कोरा रहा उस, देश को चल-मुसाफिर।। कोरा जीवन.... मोती-