Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagar poetry#Rambriksh Poetry#Rambriksh kavita#अंधविश्वास और रूढ़िवादी विचारों पर लिखी कविता#जागो अब जीवन लो तराश कविता#सामाजिक कविता 15942 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक-जागो !अब जीवन लो तराश | जागो अब जीवन लो तराश | नीली धरती से गगन बीच मंगल जीवन रेखा लो खींच कलमयुग कलयुग का इतिहास | जागो !अब जीवन लो तराश | धरती गगन समूचे जल को, नाप लिया जीवन के पल को शिक्षा से है जीवन विकास | जागो !अब जीवन लो तराश | न कृपा श्राप वरदान कोई न स्वर्ग वैतरणी दान कहीं सच का करोगे कब एहसास ? जागो ! अब जीवन लो तराश | करे न विधवा शुभ कार्य शुरू यह अपमान क्यों स्वीकार करू कब ये मिटेगा अंधविश्वास। जागो !अब जीवन लो तराश | पत्थर पर दूध गिराते हो पर किसकी शुधा मिटाते हो? सत्य का कब होगा आभास? जागो !अब जीवन लो तराश | क्या छुआ छूत क्या भेदभाव नफरत का जलता क्यूं अलाव? मानवता का हो रहा हास। जागो !अब जीवन लो तराश | मन दिल का ईश्वर मात पिता हैं श्रद्धा ममता के बृक्ष लता फिर क्यों होता है परिहास। जागो !अब जीवन लो तराश | हाथों की रेखा भाग्य नही है कर्म इष्ट सौभाग्य यही जग में भर दो जगमग प्रकाश | जागो !अब जीवन लो तराश | सद्भाव आचरण प्रेम कृत्य धरती को बनाते स्वर्ग नित्य कर लो मन में सुकर्म सुवास | जागो !अब जीवन लो तराश | रचनाकार-रामबृक्ष, अम्बेडकरनगर *************************************
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...