Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य This poem is best motivation of a hard worker. 16581 0 Hindi :: हिंदी
व्यथा को बनाकर दिप्त दिप्त, हर राहों मे युहीं चले चलो! चाहत को दबाकर हृदय मे, विश्व को तुम धारण कर लो!! व्यथा चाहत का अमर कुंज, हृदय को हिलाकर रखती है! र्नम र्नम चलती है खुद, हृदय को भ्रमीत कर देती है!! पावनता देती कर्म प्रबल, न डिगो अदृड़ हो कर्म करो! न झूंकों कहीं ठोकर खाने से, महा प्रबल मनो युक्त बनो!! है जगी चेतना हृदय मे, कर्म प्रबल गती पाने से! है मन कि पिपासा तृप्त हुई, कर्मों को रथी बनाने से!! है अचल मेघला विश्व धरोहर, कर्म प्रबल उद्धारक है, है महा समर को बांध रही, शक्ती युक्ती बल वाहक है!! न डिगा कभी पावन तरूवर, हो लाखों आंधिया तेज भले! बना ली रत्नेश गीर चोटी से, राहो का गमन कर तृप्ती से!! ऐसा हम भी बन सकते हैं, नही गर्व करो विनर्म बनो! आहट से न चाहत मिलती है, जरुरत चाहत मे र्फक रखो!! र्फक को तर्क से बांध रखे, तर्कि मन का है कर्म यही! आशाऐं हर राह मे मुक्त रही, है आशाओं का र्मम यहीं!! न बल को धरो निष्ठाओं मे, महा प्रबल आशावान बनो! बना दो शक्ती का मार्ग कर्म को, उठो ईसे संतृप्त करो!! कर्ता धरता है कर्म तपो बल, बल युक्ती का चाहक है! है हार जीत ईक खेल यहां पर, चाहत जीवन का राहत है!! न मिले राहत युं तृप्त भये, प्रथम खुद पर विश्वाश धरो! व्यथा को बनाकर दिप्त दिप्त, हर राहों मे युंहीं चले चलो!! Poem : - Amit Kumar Prasad. कवी :- अमित कुमार प्रशाद
My Self Amit Kumar Prasad S/O - Kishor Prasad D/O/B - 10-01-1996 Education - Madhyamik, H. S, B. ...