Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

हमारी सभ्यता

Meenubaliyan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक हम और हमारे रीती रिवाज़ 19711 0 Hindi :: हिंदी

खड़ी हुईं है आज सभ्यता चौराहे और कोनो मे
मानवता शर्मसार हो गई अपने खेल रचाने मे,
सारे ही संस्कार खो दिए हमने नये जमाने मे
भाई को भाई ना समझें
माँ का ना बेटा होवें,
बेटी निकले कमाने को अब तो
जग मे बदनामी होवें,
माँ बाप ना पाले जावे
सास ससुर सब कुछ बन जावे
जी रहे है कैसी जिंदगी हम इस नये ज़माने मे
सारे ही संस्कार खो दिए हमने नये ज़माने मे,
बन जाये अगर एक राम तो
लक्ष्मण तो लाखो मिल जाये
हो माता यशोदा जैसी
हर बेटा कान्हा बन जाये,
कैसा हो संसार अगर तो
रामराज फिर से आ जाये
जी लेंगे हम सच्ची जिंदगी इस झूठे अफसाने मे
सारे ही संस्कार खो दिए हमने नये जमाने मे....

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: