Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

*गांव का बचपन *

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक गांव का बचपन 33568 0 Hindi :: हिंदी

गांव में बीते बचपन का , मुझे स्वप्न  दिखाई  देता है |
अपने गांव का वो प्यारा,मुझे द्रश्य दिखाई देता है  ||

कांव -कांव कौवों की ,हमको सुबह सुनाई देती थी |
वृक्षों पर तोता मैना की ,हलचल होती रहती थी  ||
कुहू-कुहू कोयल की, बोली मन प्रसन्न कर जाती थी |
घर के आँगन में गोरैया, दाना चुगने आती थी |

गाय रंभा -रंभा कर ,बछड़े को पास बुलाती थी |
दूध पिलाकर बछड़े को ,अमृत हम को दे जाती थी ||
खेत में जाते बैलों की ,घंटी टन- टन बज जाती   थी |
गांव के मंदिर से शंख की , ध्वनि सुनाई देती थी ||

खेतों की हरियाली प्यारी ,सबके मन को भाती थी |
आमों की अमराई की ,वो छांव सुहानी लगती थी  ||
दोस्तों की वो हंसी ठिठोली ,हमको प्यारी लगती थी |
गांव के प्यारे अपने पन की ,सीख सुहानी लगती थी ||

कच्ची पगडंडी की गलियां हमको प्यारी लगती थी  |
ठंडी शुद्ध हवा की खुशबु,हमको प्यारी लगती थी ||
शहरों के  कोलाहल से हमें शांति प्यारी लगती है |
गांव में बीते बचपन की , हमें यादें प्यारी लगती हैं|

       रचियता ---   अखिलेश श्रीवास्तव 

  

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: