संदीप कुमार सिंह 20 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6076 0 Hindi :: हिंदी
होनी टाले कब टली, फिर भी रखिए धैर्य। दुख सुख तो सबको मिले,रखिए मन में स्थैर्य।। होनी टाले कब टली,फिर भी करें न शोक। रखिए साथ उमंग को,खुशी मिले बेरोक।। होनी टाले कब टली,फिर भी करिए कर्म। रखे इरादा नेक जो,उनका साथी धर्म।। होनी टाले कब टली,फिर भी कमें न आस। करें कर्म उत्साह से,नव ऊर्जा हो पास।। होनी टाले कब टली,दृढ़ रखिए नित जोश। रखें सोच जो प्रगति की,सब सुख हो आगोश।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....