संदीप कुमार सिंह 05 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4059 0 Hindi :: हिंदी
हमें अभिमान है अपने वतन पर, हमें अभिमान है अपने वतनप्रस्ति पर। हमें अभिमान है अपने संस्कृति पर, हमें अभिमान है अपने गौरवशाली इतिहास पर। हमें अभिमान है अपने प्राकृतिक सम्पदा पर, हमें अभिमान है अपने भौगोलिक दशा पर। हमें सच्चाई का अभिमान है, हमें मानवता का अभिमान है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....