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संगिनी

Shubham Kumar 30 Mar 2023 कहानियाँ दुःखद मेरी संगिनी 37509 2 5 Hindi :: हिंदी

एक बहुत ही सुंदर स्त्री,, जिसकी नाम संगिनी थी,, वह पतिव्रता नारी थी, वह अपने पति से बेइंतहा मोहब्बत   करती थी, (कुछ वार्तालाप )- शांति  अरे ओ शांति, क्यों लेट कर रही हो,, मुझे जल्दी काम पर जाना है,, तुम मेरा टिफिन तैयार कर दो,, नहीं तो मैं होटल में ही खा लूंगा,,( तभी तेज कदमों से सीढ़ियां उतरते हुए) एक सुंदर स्त्री टिफिन बॉक्स  हाथों में लेकर) राम के पास आती है_ राम एक  ऑफिस में काम करता है,  और वह शांति का  पति है_ राम अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता है, शांति मेरे पास आना_( कहो क्या बात है) शांति  पति के करीब पहुंच जाती है,( तभी उसका पति उसके गालों में  चुंबन लेता है) शांति शर्मा जाती है,( शांति आज मैं घर जल्दी ही लौटूंगा) आज मैं तुम्हें अपनी बाहों में लेकर सोना चाहता हूं) क्योंकि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो( क्या पहले मैं सुंदर नहीं दिखती थी) नहीं बात ऐसी नहीं है)  आज बिल्कुल तुम अलग ही दिख रही हो, हर रोज की तरह तुम मुझे विदाई देते वक्त(   चुम्मी देना भूल जाती हो- अरे मेरा बस चले तो मैं अपनी बीवी की- साड़ियां पकड़ के सारा दिन चलता  रहूं( तुम्हें पाकर मैं बहुत खुश हूं) और आपको पाकर मैं भी खुश हूं)  और हां मैंने एक बात तुमसे) बोलना भूल ही गया_ मुझे अपने दोस्त के घर जाना है_ क्या मैं तुमसे इजाजत ले सकता हूं_( इसमें पूछने वाली क्या बात है) बस आप थोड़ा घर जल्दी  आना) हां बाबा मैं जानती हूं) कि जब तक मैं घर नहीं  लौटता, तुम खाना नहीं खाती हो,,( इतना कहते हैं राम घर से बाहर चला जाता है) शांति से देखती रहती है जब तक वह उसकी आंखों से  ओझल ना हो जाता है(2) दूसरा पल_ एक औरत उदास होकर दरवाजे पर   बैठी है,) उसकी शादी का आज 4 साल हो गए हैं( और उसके अभी तक बच्चे नहीं हुए)   वह उदास औरत, सोचती है, उसे राम का प्यार चाहिए_ पहले की तरह, अब तो राम उसके बिना बोले,  कोई कार्य करता है,  उसे बताना जरूरी नहीं समझता, अब वह बात बात पर शांति से झगड़ा करता,  आए दिन दोनों में नोकझोंक होती ही रहती,, अब तो राम, शांति  को थप्पड़ मारने  भी लगा था,,  सोते समय राम, शांति की तरफ करवट भी ना लेता,, शांति की सास भी शांति को कोसती थी,, अब तो समाज  भी ताने मारने लगे थे,, शांति उदास पड़ी रहती है,, वह ठीक से खाना भी नहीं खाती,, वह तो सिर्फ अपना पति का प्रेम चाहती है,,, लेकिन राम उससे दूर होता जा रहा था,, समाज  ताने मार रहे थे,,  आए दिन किसी न किसी के साथ,, उसकी लड़ाई होती रहती,, शांति समझ चुकी थी,, मैं समाज का मुंह चुप नहीं कर सकता,, मैं राम को दोबारा नहीं पा सकता,, मेरे भाग्य में बच्चे नहीं,,( 1 दिन शांति सो कर उठती है) और बगल में वह बच्चा पाती है,,   वह उस बच्चे को देखकर बहुत प्रसन्न होती है,, और वह हमेशा अपने बच्चे को सीने से लगाए रहती है,, अब राम भी प्यार करने लगा था,, पहले की तरह,😪 अब तो उसके  सास भी सताना नहीं देती,, वह समाज का मुंह बंद कर चुकी थी,,( परंतु यह क्या) उसके पांव में तो बेड़ियां पड़ी है, और उसकी आंखें के बीच में,, काले काले धब्बे,, और उसकी हड्डियां,, दिखाई पड़ती थी,, और उसके जुल्फें, जो पहले कभी  लहराते थे,$ वह  अब बिखरे पड़े हैं,, दरअसल में,, हुआ यह है कि_ वो ख्वाबों में जीने लगी है,, और उसके पास, एक तकिया है, वह उस तकिए को, सीने से लगाए रहती है, यकीन मानो वह उसे पाकर बहुत खुश है,, एक अंधेरा सा कमरे में,, पड़ी रहती है, रोशनी दार सपने सजाए,_ लेकिन उसका ख्वाबों का दुनिया, इस दुनिया से बेहतर है,, डॉक्टर ने उनसे कहा है , कि अगर मैं इसे ठीक भी कर देता हूं,, तो   वह पहले की तरह, शायद खुश ना हो,, लेकिन यकीन मानो अभी-( वह बेहतर है) आशा करता हूं यह कहानी, आप सबको अच्छी लगती होगी,, आपको इस कहानी पढ़ने के लिए__ लाख-लाख धन्यवाद देता हूं,_ मैं आपका प्रिय लेखक शुभम कुमार,, आप लोगों से उम्मीद है,  आप यूं ही प्यार बनाए रखें,  मुझ में वैसी योग्यता तो नहीं,, लेकिन कोशिश जरूर करूंगा,_

Comments & Reviews

Shubham Kumar
Shubham Kumar आई एम वेरी सैड l सेंड अ स्टडी

1 year ago

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Sahity Live
Sahity Live Good

1 year ago

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