Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

अब न रही वो गाँव में

संदीप कुमार सिंह 26 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5529 0 Hindi :: हिंदी

अब न रही वो गाँव में, मस्ती में रत रात।
मिले मतलबी लोग अब,करे व्यर्थ की बात।।

अब न रही वो गाँव में,शुद्ध सरल सी प्रीत।
दिखते सभी नकाब में,गाए बद संगीत।।

अब न रही वो गाँव में, कोयल की मधु तान।
हुए सभी अब बेसुरा,लुप्त हुआ है ज्ञान।।

अब न रही वो गाँव में,सरिता दिव्य बहार।
करे युवक सब अब नशा,सुन्दर नहीं विचार।।

अब न रही वो गाँव में,दिव्य भव्य मुस्कान।
अजब समय का फेर है,गायब है सच मान।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: