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दुल्हन वही जो , पिया मन भाए

AJAY ANAND 08 Apr 2023 कहानियाँ समाजिक 8860 0 Hindi :: हिंदी

दुल्हन वही जो पिया मन भाए
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कभी कभी ऐसे मौके आते हैं जब हमें खुद निर्णय लेना पड़ता है। अच्छे और बुरे का ज्ञान अपनी समझ पर निर्भर करता है। अधिकांश लोग ये सोचते हैं कि बल प्रयोग के द्वारा अपना काम निकाल लेंगे। लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग ऐसा नहीं करते। अपने कुटिल बुद्धि से बिगड़े काम बनाने में माहिर होते हैं।
चाणक्य भी एक कुटिल बुद्धि वाले व्यक्ति थे जिसने घनानंद के विस्तृत साम्राज्य को कुटनीतिज्ञ चाल से जीत लिया।

ऐसे ही कहानी है सत्यप्रकाश और सुनयना की। जिसके दिमाग को पढ़ पाना किसी के वश का नहीं है। वह अपनी चाल खुद चलते हैं और जीत पर हमेशा विश्वास रखते हैं। 

अपनी पारिवारिक दाम्पत्य जीवन को छांव देते हुए घोर कठिन विपदाओं में भी कदम नहीं लड़खड़ाते है बल्कि पूरे उत्साह और जोश के साथ आगे बढ़ते हुए विजय हासिल करते हैं। 

तो आइए जानते हैं इसके परिवार के कुछ सदस्यों को..!

सत्यप्रकाश एक अच्छे और नामी वकील हैं। लोग उसके इज्जत करते हैं परन्तु सभी नहीं करते क्योंकि अदालत में सच और झूठ का फैसला पैसे के वजन पर निर्भर करता है। जिसके पैसे का वजन जितना ज्यादा होता है, फैसला उसी के हाथ में। ऐसे तो सत्यप्रकाश अपने परिवार के लिए जितना जिम्मेदार और सत्यवादी है उतना दूसरे के लिए नहीं। उसका मानना है कि पैसे जिसके पास है उसी कि इज्जत लोग करते हैं।

इस कहानी का मुख्य कैरेक्टर सुनयना है जिसके जिंदगी में एक ऐसे व्यक्ति का प्रवेश होता है जिसके कारण परिवार में उथल-पुथल होने लगता है। स्त्री होने के बावजूद अपने अस्तित्व को बचाते हुए सच साबित करती है।
सुनयना घर के कामों में व्यस्त रहती है। उसके लिए उसके परिवार ही सब कुछ है। सत्यप्रकाश के बिल्कुल विपरीत सुनयना को झूठ और फरेब से सख्त नफरत है। जो सच है वह सच है और जो झूठ है वह झूठ। अपनी पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से लोगों की मदद करना अपना कर्तव्य समझती है। पति-पत्नी के बीच अनबन होने के बावजूद भी सुनयना अपने पति की इज्जत करती है। साथ ना सही लेकिन कभी कोई गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करती है। इन्हें एक बेटा और एक बेटी है। जो तेरह और नौ साल के हैं।

दीनानाथ प्रकाश मिडिल स्कूल टीचर हैं। जो रिटायर हो चुके हैं। ये सुनयना के ससुर और सत्यप्रकाश के पिता है। वह भी ईमानदार हैं और समाजसेवा में खुद को समर्पित कर चुके हैं। उनका कहना है बच्चे भविष्य निर्माता होते हैं। इसलिए समय निकालकर जितना ज्ञान आपके पास है उन्हें देने में कभी संकोच नहीं करें। इनके तीन बच्चे हैं सत्यप्रकाश , गोविंद प्रकाश और एक बेटी तपस्वी प्रकाश।

गोविन्द प्रकाश विदेश में रहते हैं। वहीं उनका कम्पनी है। इसके पत्नी का नाम अपूर्वा है, जो सुनयना के साथ घर के कामों में सहयोग करती है।

शकुंतला देवी समाज सुधारक और घरेलू महिला है। वह वार्ड पार्षद भी रह चुकी है। लेकिन शरीर में शिथिलता आ जाने के कारण अब चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं फिर भी लोगों को जागरूक करना अभी भी उन्हें पसंद है। जब भी कभी किसी को कोई प्रोब्लम होता है तो शकुंतला देवी के पास ही आते हैं तथा उन्हें मालूम होता है कि इनके पास जाने से समस्या सोल्व हो जाएगा।

प्रिंस और उसकी पत्नी नर्स जया, जिसकी शादी लव मैरिज हुई है। इसके एक बेटे हैं जिसका उम्र पांच साल है।

दामिनी और सिद्धार्थ मल्होत्रा का दाम्पत्य जीवन अच्छा नहीं है। सिद्धार्थ मल्होत्रा के लाइफ में रीया मजूमदार के आ जाने से स्थिति बिगड़ी हुई है जिसके कारण सिद्धार्थ मल्होत्रा तलाक की अर्जी कोर्ट में पेश किए हुए हैं।

यह परिवारिक कहानी काल्पनिक तो नहीं कह सकते लेकिन हकीकत भी नहीं है क्योंकि एक परिवार के बीच ऐसे घटनाओं का होना कोई आम बात नहीं है।

तो चलिए कहानी की अगली कड़ी में, ये तो कहानी का संक्षिप्त भाग था। जबतक कहानी का सम्पूर्ण भाग नहीं पढ़ लेते तब तक कहानी समझ में नहीं आएगा।
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सुनयना की जिंदगी बड़े मजे से गुजर रही थी और गुजरे भी क्यों नहीं। आज शादी के सोलह वर्ष बीत गए हैं। सोलह सिंगार करके बाहर निकली तो सभी देख कर दंग रह गए। 

सत्यप्रकाश ने तो कह ही दिया - तुम तो लग ही नहीं रही हो कि दो बच्चों की मां भी हो , एकदम झक्कास। 

सुनयना सीढियां पर से नीचे उतरते हुए कहा - तुम भी ना , सत्य प्रकाश …  ना वक्त देखते हो , ना माहौल। कितने लोग जमा है यहां पर और तुम भी क्या से क्या बोले ही जा रहे हो?
ऐसी भी क्या दिख रही हूं मैं , जो इतना भी बढ़ा चढ़ाकर बोल रहे हैं। 

उसके मुस्कुराहट के पीछे सत्य को सत्य प्रकाश भांप चुके थे।

 सत्य प्रकाश , सुनयना को संभालते हुए कहा - जरा ठीक से सीढ़ियां पर से उतरा करो। पैरों में मोच आ जाएगा तो आज की सालगिरह तुम्हारे लिए फींका हो जाएगा। डांस भी तो हम-दोनों को करना है।

सुनयना तब तक खुद को संभालते हुए कहा - शादी के सोलहवें वर्ष हो गए हैं। आपकी आशिक मिजाजी अभी तक नहीं गई है। पकड़े ही रहोगे या छोड़ोगे भी अब.! जरा देखो सभी को, मेरे तरफ ही देख रहे हैं।

सुनयना खुद को छुड़ाते हुए कहा।

सत्यप्रकाश फिर से सुनयना के कमर पर  हाथ रखते हुए कहा - वक्त और माहौल का कहां से बात हो गया? सच में तुम हो ही इतनी खूबसूरत ..!

तुम मेरी पत्नी हो और ऐसा मैंने कोई खराब बात तो नहीं कह दी, जो यहां के माहौल को मेरी बातों से शर्मिंदा होना पड़े।

 सुनयना उसके माथे पर तिलक लगाई और बोली - ठीक है, आप ही जीते, मैं हारी। 

सुनयना आपने प्यार भरी मुस्कुराहट से सत्य प्रकाश की तरफ देखी और फिर बोली-
सभी व्यवस्था हो गया ना .. देखना इस साल कुछ छूट नहीं जाए , पीछले वर्ष की तरह। 

सत्य प्रकाश भी सुनयना के गालों पर किस्स किया और मुस्कुराते हुए कहा - इस बार पहले से ही मैंने सारी व्यवस्था कर रखी है सुजी। चिंता की कोई बात नहीं है। 

सुनयना ठीक है, कहते हुए आगे निकल गई।

पूजा पाठ में सत्य प्रकाश को कोई इंटरेस्ट नहीं है। वह खुद को नास्तिक मानता है लेकिन खुद एक जिम्मेदार इंसान होते हुई पूजा पाठ में भी सक्रिय रहता है।

दीनानाथ अपने बेटे सत्य प्रकाश को बुलाते हुए कहा - मैंने जिसे कार्ड देने के लिए कहा था। सभी को तुमने पहुंचा दिए ना ..!

हां , पिताजी मैंने तो उसी दिन सभी को दे दिए। 

लेकिन अभी तक वे लोग क्यों नहीं आए हैं ?

आ जाएंगे , इतनी जल्दी भी क्या है ? धीरे-धीरे तो सभी लोग आ ही रहे हैं। सत्यप्रकाश पिता को समझाते हुए कहा।

सत्यप्रकाश अक्सर अपने काम के सिलसिले में हर बात को भूल जाते हैं। घर से बाहर निकले नहीं क्या ? सभी अपने - अपने काम के लिए सत्य प्रकाश को बुला लेते हैं।

सत्य प्रकाश का बेटा सुशांत हाथ में मोबाइल लेते हुए सत्य प्रकाश के पास आया और कहा - पापा , किसी गोविंद नाम के आदमी का फोन है। वह आपसे बात करेंगे।

सत्य प्रकाश फोन लेते हुए, उस आदमी से कहा - मैंने कहा था। आज हम बिजी रहेंगे। किसी भी मैटर में हमसे बात मत करना। 

जी एक नया केस आया है। उसे क्या बोलूं ? 

अभी कोई केस मत लेना। मेरे पास ऑलरेडी बहुत केस पेंडिंग में है। जब तक उसे खत्म नहीं कर देते। कोई भी नया केस मत लेना। 

जी पैसे बहुत मिल रहे हैं। 

सत्य प्रकाश सोचते हुए कहा -
ठीक है , उसे कल बोलो आने के लिए।

वकील साहब आज के दिन भी आप केस मुकदमे की ही बात कर रहे हैं। आज कुछ नया कीजिए - सत्य प्रकाश के बहनोई शांति रमन मजाक करते हुए कहा।

आइए शांति रमन जी। मैं आपका ही वेट कर रहा था।

 सत्यप्रकाश इधर - उधर देखा और शांति रमन से पूछा - तपस्वी नहीं आई है। 

हां वह मम्मी से मिलने गई। आप तो फोन पर बिजी थे। आप के बगल से ही तो गुजरी वह। 

अच्छा मैंने देखा ही नहीं होगा। सत्य प्रकाश का इतना कहना था कि एक अनजान नम्बर से मोबाइल की घंटी फिर से बजने लगा।

उसने बिना बात किए ही फोन का स्विच ऑफ करके रख दिया।

आखिर वह अनजान नम्बर किसका था ?

किसी नए केस के सिलसिले में या कुछ और ..?
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जिन्दगी में कभी किसी बात को लेकर अड़चनें नहीं आई। सास ससुर और देवर देवरानी बहुत प्यार करते हैं उससे। सुबह की चाय से लेकर रात के डिनर तक का सारे काम सुनयना को ही करना पड़ता है।

सास शकुंतला देवी समाजसेवी है , जो वार्ड कमिश्नर भी रह चुकी है लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण दूसरे चुनाव में उसकी भागीदारी नहीं हो सकी। अब वह अपने बहु सुनयना के साथ मिलकर ही घर के कामों में हाथ बटाती है।


सुनयना मेडिसिन के बारे में भी जानती है। जब भी कोई सदस्य कभी बीमार पड़ गए तो खुद वह इलाज करती है।

शकुंतला देवी डायबिटीज की मरीज है जिसकी देखरेख सुनयना को‌ ही करना पड़ता है। समय पर सुई लगाना, ब्लड प्रेशर चेक करना और शुगर का भी।

 सुबह से घर में खुशी का माहौल है । बहुत बड़े केक का आर्डर सुनयना के पति सत्यप्रकाश देकर आए हैं।

क्योंकि दोनों के आज सोलहवें सालगिरह है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी सालगिरह का आयोजन किया गया है और सभी दोस्तों, रिश्तेदारों तथा अपने पहचान वाले को इनवाइट किया गया है।

काम ज्यादा और समय कम होने की वजह से सभी जल्दबाजी में हर काम को करने में लगे हुए हैं। दोपहर से ही बैंड-बाजे वाले गीतों की धुनों पर झंकार दे रहे हैं। मनोरंजन का तो मानो पूरा साधन है।

पूजा पाठ अभी खत्म होने ही वाला है , जो सुबह से ही सभी उसके पीछे लगे हुए थे।

सुनयना ज्योंहि दरवाजे पर कदम रखती है। उसी समय सत्यप्रकाश को देखकर सुनयना कुछ सोचने लगती है। 

उसे अचानक याद आते ही अपने हाथों से थाली वहीं पड़ी हुई बेंच पर रख कर सत्यप्रकाश के तरफ चल पड़ी।

सत्यप्रकाश को इशारे से बुला रही है किन्तु सत्यप्रकाश फुल वाले को बता रहे हैं कि किस तरह से दीवाल पर लगाने से अच्छा लगेगा। 

सत्यप्रकाश भी इशारों में यह कहता है कि कुछ देर बाद बात करते हैं। अभी तुम जाओ।

सुनयना भी सत्यप्रकाश से बात करने के लिए वहीं पर खड़ी रहती है। उसकी हिम्मत सत्य प्रकाश के पास जाने की नहीं होती है क्योंकि वहां पर उसके और भी दोस्त मौजूद है यह नहीं चाहती है कि वहां जाकर सत्य प्रकाश के काम में दखल अंदाजी दें।

सत्यप्रकाश सामने आकर झल्लाते हुए कहा - अभी कहा ना... तुम्हें यहां से जाने। मेरे नालायक दोस्त आए हैं। तुम्हें देखकर और भी हम पर कॉमेंट करेंगे।

मैं चली जाऊंगी , पर हमें यह पूछना था कि आपने केक का आर्डर दे दिया ना। और शाम तक तैयार हो जाएगा ना..! ऐसा नहीं कि पिछले साल की तरह ही लेट हो जाए और सभी को इंतजार करना पड़े।

तुम यही पूछने के लिए यहां पड़ खड़ी हो। मैंने सारा इंतजाम कर दिया है। इस बार लेट नहीं होगा। वक्त से पहले तुम्हारे लिए केक आ जाएगा। बस अब तुम यहां से जाओ।

सत्यप्रकाश सुनयना को प्यार से समझाते हुए कहा।

सुनयना और कुछ कहना चाह ही रही थी कि सत्यप्रकाश का दोस्त रामू की आवाज आते ही सुनयना उस से जगह चल पड़ी।

सुनयना बेंच पर रखी हुई थाली को अपने हाथों पर उठाया फिर क्या उसके मन में आया कि वह उसी बेंच पर हाथों में थाली लेकर बैठ गई और पुरानी बातों में खो गई।

सभी मेहमान आपस में एक-दूसरे से कह रहे हैं और कितना वेट करना पड़ेगा। रात के साढ़े आठ बज चुके हैं।

अभी तक में तो सारा इंतजाम हो जाना चाहिए।

सुनयना भी अपने पति को खोज रही है जो सबसे अलग हटकर फोन पर लगे हुए हैं।

तो... आप यहां पर है। मैंने सब जगह आपको खोज लिया।
आपने सच में आर्डर दिया था ना… या फिर कोर्ट - कचहरी के चक्कर में भूल गए।

हां.. दिया था ..! सुनयना को समझाते हुए सत्यप्रकाश ने कहा - इससे पहले कभी लेट हुआ था। इतने साल से तो हम लोग सालगिरह मना रहे हैं पर देखो आज ... तभी डिलेवरी ब्वाय का कॉल आया - सर , आपके दरवाजे पर है। क्या आप रिसीव करने आ सकते हैं।

सीधे अंदर की तरफ आ जाओ भाई , इतना लेट करने के बाद भी बाहर खड़े हो - सत्यप्रकाश फोन पर बात करते हुए फोन काटा और अपने पॉकेट में रखकर उसकी तरफ चल पड़ा।
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दीदी किस सोच में पड़ी हो , देवरानी की आवाज सुनकर सुनयना चौंक पड़ी। 
कुछ नहीं , देखो ना... अपूर्वा , पीछले साल की तरह ही इस साल भी डिलिवरी आने में लेट ना हो जाए।

पीछले साल कोई प्रोब्लम हुआ होगा दीदी और हर साल थोड़े ऐसा होता है। आप तो पीछले बातों को लेकर बैठ गई।

चलो भी अब ... पूजा का समय बीता जा रहा है। सभी तैयार होकर आप का ही इंतजार कर रहे हैं। और आप यहां बीते बातों में खोए हुए बैठे हुए हैं। दीजिए हमें पूजा की थाली मैं लेकर जाती हूं - अपूर्वा , सुनयना के हाथों से थाली लेते हुए बोली।

शाम का वक्त है। सभी मेहमान आ चुके हैं। गाने बजाने के कार्यक्रम हो रहे हैं। सभी कपल एक-दुसरे का हाथ थाम कर झूम रहे हैं।

तभी ... सत्यप्रकाश की मां शकुंतला देवी अपने हाथों में मोबाइल लेकर दौड़ते हुए आ रही है।

देखो सत्यप्रकाश बहू की रासलीला… शकुंतला अपने बेटे सत्यप्रकाश को मोबाइल देते हुए बोली।

सत्यप्रकाश मोबाइल को अपने हाथों में लेकर देखते हैं और सुनयना के करीब जाकर कहते हैं।

आओ सुजी..… सुनयना का हाथ पकड़कर किसी एकांत की तरफ ले जाकर कहता है - देखो किसी ने तुम्हारी वीडियो बनाकर क्या भेजा है?

वह भी देखकर बोली - ये किसने भेजा होगा। ये तो बहुत पुरानी लग रही है।

किसने भेजा होगा... और यह पुरानी से क्या मतलब है तुम्हारा। तुम्हारा चेहरा देखो स्पष्ट दिखाई दे रहा है। 
हां लड़के का चेहरा कुछ धुंधला लग रहा है। कोई भी देखा तो तुरंत तुम्हें पहचान लेगा। तुमने ये कभी सोचा भी है जब यह एक मोबाइल पर भेजा जा सकता है तो और भी किसी के मोबाइल पर तो भेजा जा सकता है।

परन्तु तुमने ऐसा क्यों किया - सत्यप्रकाश सुनयना से प्रश्न किया।

हम पर भरोसा नहीं है प्रकाश , ये वीडियो कब का है ? कब बना ? हमें कुछ मालूम नहीं।
 मैं भी नहीं समझ पा रहा हूं कि मां के मोबाइल पर क्यों भेजा ?  तुम्हारे मोबाइल पर भेज सकता था या फिर मेरे मोबाइल पर भी तो भेज सकता था?

कहीं शादी के पहले किसी के साथ तुम्हारा अफेयर.... सत्यप्रकाश बोलते - बोलते चुप हो गया।

आप भी हम पर शक कर रहे हैं - सुनयना साड़ी के पल्लू से चेहरे को ढकते हुए बोली।

शक का बात नहीं है सुजी ...जरा याद करके बताओ। ये लड़का कौन है। तुम तो इसे पहचानती ही होगी। तभी तो यह तुम्हारे साथ हैं।

किसी और के हाथ वीडियो लगे इससे पहले कुछ उपाय हम लोग कर लेंगे। नहीं तो कितनी बड़ी बदनामी होगी। लोग तुम्हारे बारे में क्या - क्या अनाप-शनाप बोलेंगे। जरा बताओ मेरी क्या इज्जत रह जाएगी‌।

सुनयना कुछ नहीं बोली और चुपचाप उस जगह से निकल गई। क्योंकि उसे याद होता तो जरूर बताती।

कहां चली गई थी दीदी ? केक काटने का समय हो गया है- अपूर्वा सुनयना को देखते ही बोली।

अपूर्वा जो इस घर की छोटी बहू है। 2 वर्ष पहले ही गोविंद प्रकाश के साथ उसकी शादी हुई है। इसके पति विदेश में रहते हैं।
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केक कट जाता है। सभी मेहमान नृत्य करते  हैं। परंतु सुनयना के चेहरे पर बनावटी मुस्कान साफ दिखाई दे रहा है। 
उसकी घबराहट कम नहीं हो रही है।

वह तो उसी वीडियो के बारे में सोच कर पागल हो रही है। डीजे की आवाज पर सभी का नृत्य देखने लायक बन रहा था। सभी एक दूसरे के कमर पर हाथ रखकर डांस का इंजॉय ले रहे थे और सुनयना झूठी मुस्कुराहट के साथ सब से हाथ मिला रही थी।

शहर के बिचोबिच एक आलीशान महल कोई भुतिया हवेली की तरह दिखाई दे रहा था। जिसके चीखें सुनयना के कानों को स्पष्ट रूप से सुनाई देता और वह घबराकर कर बैठ जाती।
सभी नाच और गाने में मस्त थे। किसी का ध्यान सुनयना की ओर जा ही नहीं रहा था। कुछ समय के लिए इसके परिवार सभी कुछ भुला चुके थे।
वह अब इस शोर-शराबे से दूर जाना चाह रही थी। उसकी परेशानी कोई समझ नहीं रहा था। वह खुद को अकेला महसूस करने लगी। उसने अपना हाल अपूर्वा को सुनाने की कोशिश की कि कहीं वह दिखाई दे। इधर-उधर नजरे घुमाने के बाद अपूर्वा दिखाई दिया जो अपने किसी रिश्तेदार से बात करने में मशगूल थी।
सुनयना उसे डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझी। आखिरकार वह घबराकर एकांत में जाकर बैठ गई।
लेकिन सुनयना अब भी वही सोच रही थी। आखिर कौन हो सकता है ??
हमसे वह क्या चाहता है?
कंधे पर किसी के हाथ के एहसास ने सुनयना को उसकी तरफ खींचा।
ओ … अपूर्वा तुम यहां क्या कर रही हो। तुम्हें तो वहां होना चाहिए।
अपूर्वा उसके बगल में बैठती हुई बोली - यही सवाल तो मैं आपसे पुछने आई हूं दीदी। सत्यप्रकाश भाई साहब को छोड़कर आप यहां अकेले बैठे हुए हैं।
सुनयना अपूर्वा के इशारे को भांप चुकी थी। उसने सत्यप्रकाश की ओर देखते हुए कहा - आजकल के सभी मर्द एक ही जैसे होते हैं।
सत्यप्रकाश अपने असिस्टेंट सोनाक्षी के साथ मदहोश हो कर डांस कर रहे थे। उसे कोई फिक्र नहीं था। उस आने वाले तूफान का, जो आने ही वाला था।
मैं घबरा रही हूं अपूर्वा, हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर मैं क्या करूं? तुम ही कुछ बताओ।
एक वीडियो ने मेरे लाइफ में जैसे तुफान मचा दिया है। कुछ भी करने का मन नहीं करता। और सत्यप्रकाश तो… सुनयना, सत्यप्रकाश की तरफ देखती है जो अब भी सोनाक्षी के कंधे पर हाथ रखकर डांस कर रहे थे।

अपूर्वा समझाते हुए कहा - इस बारे में कल हम लोग बात करेंगे। आज तो पार्टी है। आज का दिन क्यों बर्बाद करें।
सुनयना कुछ समझने को तैयार नहीं थी। वह अपने साड़ी के पल्लू से चेहरे पर आए हुए पसीने को पोंछते जा रही थी।

इतनी ज्यादा गर्मी भी नहीं है और आपके चेहरे पर इतने ज्यादा पसीने आ रहें हैं। अपूर्वा उसके चेहरे की ओर देखकर पोंछने लगी।
रहने दो अपूर्वा, हमें अकेला ही छोड़ दो। जाओ तुम।
सालगिरह आपका है दीदी। मेरा नहीं।
वहां आपको होना चाहिए। हमें नहीं। अब कोई बहाना नहीं सुनेंगे। अपूर्वा उसके हाथों को पकड़ा और उसे उठाते हुए चली गई।
हमें तो लगता है, वह आदमी यहीं पर है। जो मेरे ऊपर नजर रखे हुआ है। लेकिन सामने नहीं आ रहा है। इसलिए यहां आकर बैठ गई कि अकेला देखकर वह मेरे पास आए।

आने का होता तो आ‌ गया होता। कब से तो मैं देख रही थी आपको वहां बैठे हुए। अपूर्वा जैसे सुनयना को समझाते हुए कहा।
सुनयना को देखते ही सोनाक्षी हट जाती है। दोनों के बीच शायद उसे आना पसंद नहीं हो। या कोई और बात….?
ये तो सोनाक्षी और सत्यप्रकाश ही जाने।
सत्यप्रकाश भी सोनाक्षी को रोकने की कोशिश नहीं किया।

सत्यप्रकाश भी सुनयना के साथ डांस परफॉर्मेंस कर रहे हैं। अपने पति सत्यप्रकाश की खुशी देखकर सुनयना को उबाऊ पन होने लगा। वह उससे दूर हटने की कोशिश करने लगी। उसे लगने लगा कि कहीं सत्यप्रकाश का ही तो यह सब किया धरा नहीं है।

किन्तु अभी सन्नाटा कम नहीं हुआ था। वह भीड़ उसे पागल करने लगा था। सभी के चेहरे एक ही बात की ओर इशारे करते कि इसी में से कोई एक है जो इस खुशियों भरी माहौल को रंग में भंग कर दिया। सभी के हंसते हुए चेहरे किसी राक्षस से कम नहीं लग रहें थे।

क्रमशः....????

Ajay Anand
Sultanganj, Bhagalpur, Bihar
WhatsApp - 8309024238

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