Jitendra Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जितेंन्द्र शर्मा "जीत", मेरठ, परीक्षितगढ, जितेंन्द्र शर्मा परीक्षितगढ 9463 0 Hindi :: हिंदी
रचना- जितेन्द्र शर्मा तिथी-15/02/2023 कविता- हे पतझड़! तेरा अभिनन्दन! यह सन्देश है नव चेतन का, नव योवन का, नव जीवन के पाने का। पुष्पित और पल्लवित होकर, स्वकर्मों के फल जाने का।। आनन्दित हो जाने का, पुनः परम को पाने का। फिर कैसा? भय क्रंदन? हे पतझड़! तेरा अभिनन्दन! यह प्रतीक है अभिमान छोड़कर, स्वंय सत्य पाने का। यही समय है व्यर्थ त्याग कर, दोष रहित हो जाने का। सपने नये सजाने का, खोया हुआ सुख पाने का। फिर कैसा भय? कैसा क्रन्दन? हे पतझड़,! तेरा अभिनन्दन।