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गलती मेरी थी

सोना खटीक 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत समझ गई गलती मेरी थी 28418 0 Hindi :: हिंदी

दोष क्या लगाऊँ आपको, गलती तो मेरी थी... 
सपने मैंने सजाये और वो टूटे ,ये तो रब की मर्जी थी... 
आँख से आसु गिरते रहे और रात निकल गई फिर भी, याद तो सजी थी... 
बताते बताते हार गई, थक गई प्यार है क्या यही मेरी गलती थी.... 
नही बिल्कुल नही सिर्फ मैंने अकेले नही किया कुछ भी शामिल, तो आपकी मर्जी भी थी... 
जब सोचा बोल दू, हाँ प्यार है आपसे तो बस आप मुकर गये, क्या यही आपकी दोस्ती थी...
दोस्त बोलकर सब कुछ हरवा दिया और बाद मे हस कर बोले हटा दो सब क्या यही आपकी बाते थी.... 
आज के जमाने से ना तोलना मुझे मैं लगता हूँ पर हूँ नही, क्या बात ये भी झूठी थी.... 
हम तो तुम्हारे सर(प्रिय) है कह कर सब कुछ ब्यान कर दिया क्या ये आपकी चाल थी... 
क्या मै ब्या करू अपनी बातो को जो कुछ हुआ समझ गई ,गलती मेरी थी.... 

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